April 26, 2024
Sandhi kise kahate hain

संधि किसे कहते हैं – संधि के भेद और उदाहरण in Hindi

संधि किसे कहते हैंसंधि के भेद कितने होते हैं? हेल्लो दोस्तों, आज हम हिंदी ग्रामर के एक महत्वपूर्ण topic संधि के बारेमे जानने वाले हैं. हम आपको संधि किसे कहते हैं, संधि के प्रकार कितने होते हैं, संधि के उदाहरण के बारेमे विस्तार से जानकारी देने वाले हैं. तो यदि आप भी संधि के बारेमे जानना चाहते हैं तो इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़े और समजने की कोशिश करे. हम सबसे आसान तरीके से आपको समाजाने का प्रयास करेंगे ताकि आपको भी समजने में असानि हो.

तो चलिए सबसे पहले संधि किसे कहते हैं (Sandhi in Hindi grammar) इसके बारेमे जनाते है और फिर हम आपको संधि के प्रकार के (Types of sandhi in Hindi grammar) बारेमे बताएँगे.

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संधि किसे कहते हैं – संधि की परिभाषा

दो निकटवर्ती वर्णों के मेल से जो परिवर्तन उत्पन्न होता हैं, जो विकार उत्पन्न होता हैं उसे संधि कहते हैं. आसान भाषा में कहे तो जब हम दो वर्णों को मिलाते हैं तो उसके परिणाम स्वरुप हमें एक नया शब्द मिलता हैं, जिसे हम संधि कहते हैं. संधि का शाब्दिक अर्थ “मेल” या “योग” होता हैं.

जैसे की, पर + आधीन = पराधीन.

इसमें, पर की अंतिम ध्वनी “अ” और आधीन की पहली ध्वनी “आ” का उच्चारण एक स्वर में करे तो “अ” और “आ” मिलकर “आ” बन जाता हैं और फिर इन दोनों वर्णों को जोड़ दिया जाता हैं. यह एक संधि बनता हैं. संधि में दो शब्दों में से पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और आखिरी शब्द की पहली ध्वनि मतलब की आदि ध्वनि के उच्चारण को एक ही स्वर में किया जाता हैं. उच्चारण मतलब उस शब्द को बोलना.

संधि के उदाहरण

  • हिम + आलय = हिमालय
  • विद्या + आलय = विद्यालय
  • पर + उपकार = परोपकार
  • देव + अर्चन = देवार्चन
  • वेद + अंत = वेदांत
  • सूर्य + अस्त = सूर्यास्त

तो कुछ इस तरह संधि बनती हैं. संधि बनाने से दो अक्षरों के उच्चारण में परिवर्तन होता हैं. तो यह थे संधि के उदाहरण (Examples of sandhi in Hindi grammar). हम इसके बारेमे आगे विस्तार से जानने वाले हैं.

अगर दो वर्णों मिलकर कोई नया शब्द बने पर उसमे कोई भी परिवर्तन ना हो तो उसे हम संधि के बजाये “संयोग” कहेंगे.

अब हम, संधि विच्छेद के बारेमे जानते हैं.

संधि विच्छेद क्या हैं

संधि विच्छेद की प्रक्रिया संधि की प्रक्रिया से उलटी होती हैं. संधि में हम दो वर्णों को मिलाकर एक नया शब्द बनाते हैं और संधि विच्छेद में हम उसी नए शब्द का विभाजन करके दो वर्ण बनाते हैं, इससे संधि होने से पहले जो स्वरुप था वो वापस आ जाता हैं.

जैसे की,

पराधीन = पर + आधीन

इसमें, हमने पराधीन में से दो वर्ण “पर” और “आधीन” को अलग करा हैं. इसे ही हम संधि विच्छेद कहते हैं.

तो अब आपको संधि किसे कहते हैं और संधि विच्छेद किसे कहते हैं, इसके बारेमे मालुम हैं. तो चलिए अब संधि के भेद कौनसे है इस बारेमे जानते हैं.

संधि के भेद कितने हैं – संधि के प्रकार

हिंदी व्याकरण में वर्णों के आधार पर संधि के तिन भेद हैं. उन तीनो भेद के नाम और उनके बारेमे विशेष जानकारी निचे दी गयी हैं.

  1. स्वर संधि
  2. व्यंजन संधि
  3. विसर्ग संधि

अब हम आपको इन सभी संधि के बारेमे विशेषरूप से समजाते हैं.

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स्वर संधि किसे कहते हैं

स्वर संधि की परिभाषा: दो स्वरों के मेल से जो परिवर्तन उत्पन्न होता हैं उसे स्वर संधि कहते हैं. इसमें, स्वर के बाद स्वर आता हैं और उन दोनों को मिलाकर जो विकार उत्पन्न होता हैं उसे स्वर संधि कहते हैं.

स्वर संधि के उदाहरण

  • दिव्य + अंग = दिव्यांग
  • भोजन + आलय = भोजनालय

स्वर संधि के भी पांच प्रकार होते हैं, जिनके नाम निचे बताये गए मुजब हैं.

स्वर संधि के प्रकार

  1. दीर्घ संधि
  2. गुण संधि
  3. वृद्धि संधि
  4. यण संधि
  5. अयादी संधि

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दीर्घ संधि

दीर्घ संधि की व्याख्या: ह्रस्व/दीर्घ ‘अ’, ‘इ’, ‘उ’ के बाद अगर क्रमश: दीर्घ ‘आ’, ‘ई’, ‘ऊ’ आये तो उन दोनों का मिलाप दीर्घ ‘आ’, ‘ई’, ‘ऊ’ होता हैं.

इसमें, अ + आ = आ, आ + आ = आ, आ + अ = आ, अ + अ = आ होता हैं. यह ‘इ’ और ‘उ’ पर भी लागू होता हैं.

दीर्घ संधि के उदाहरण

  • स्वर + अर्थी = स्वार्थी
  • सत्य + अर्थी = सत्यार्थी

गुण संधि

गुण संधि की व्याख्या: अगर ‘अ’ और ‘आ’ के बाद ‘इ’, ‘उ’, ‘ऊ’ या ‘रू’ आये तो दोनों मिलने से ‘ऐ’, ‘ओ’ और ‘अर’ हो जाता हैं.

इसमें अ/आ + इ/ई = ऐ, अ/आ + उ/ऊ = ओ, अ/आ + रू = अर

गुण संधि के उदाहरण

  • नर + इंद्र = नरेंद्र
  • महा + उपकार = महोपकर

वृद्धि संधि

वृद्धि संधि की व्याख्या: अगर ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ऐ’ या ‘ए’ आये तो दोनों मिलकर ‘ऐ’ हो जाते हैं और ‘अ’ और ‘आ’ के बाद ”ओ’ या ‘औ’ आये तो दोनों मिलकर ‘औ’ हो जाते हैं.

इसमें, अ/आ + ऐ/ए = ऐ और अ/आ + ओ/औ = औ होता हैं.

वृद्धि संधि के उदाहरण

  • तथा + एव = तथैव
  • जल + औषधि = जलौषधि

यण संधि

यण संधि की व्याख्या: अगर ‘इ’, ‘ई’, ‘उ’, ‘ऊ’ और ‘रू’ के बाद अलग स्वर आये तो दोनों के मिलन से ‘इ’ और ‘ई’ का ‘य’ तथा ‘उ’ और ‘ऊ’ का ‘व’ तथा ‘रू’ का ‘र’ हो जाता हैं.

इसमें, इ/ई + अन्य स्वर = य, उ/ऊ + अन्य स्वर = व और रू + अन्य स्वर = र होता हैं.

यण संधि के उदाहरण

  • अति + अधिक = अत्यधिक
  • अनु + अय = अन्वय

अयादी संधि

अयादी संधि की व्याख्या: अगर ‘ऐ’, ‘ए’, ‘ओ’, ‘औ’ जैसे स्वरों का मेल किसी दुसरे स्वरों से हुए तो ‘ए’ का ‘अय्’ तथा ‘ऐ’ का ‘आय्’, ‘ओ’ का ‘अव्’ और ‘औ’ का ‘आव्’ ह जाता हैं.

अयादी संधि के उदाहरण

  • नै + अक = नायक
  • धौ + अक = धावक

तो अब आप स्वर संधि के भेद के बारेमे भी जानते हैं, हमने आपको स्वर संधि की व्याख्या, उसके उदाहरण और भेद के बारेमे विस्बतार से बताया हैं. अब हम, व्यंजय संधि के बारेमे समजते हैं.

व्यंजन संधि किसे कहते हैं

व्यंजन संधि की परिभाषा: जब किसी व्यंजन के बाद अगर कोई स्वर या व्यंजय आ जाए तो उनसे होने वाले परिवर्त या विकार को व्यंजन संधि कहते हैं.

व्यंजन संधि के उदाहरण

  • दिक् + गज = दिग्गज
  • परी + छेद = परिच्छेद
  • अनु + छेद = अनुच्छेद

विसर्ग संधि किसे कहते हैं

विसर्ग संधि की परिभाषा: विसर्ग के बाद किसी स्वर या व्यंजन के आने से विसर्ग में जो परिवर्तन होता हैं उसे विसर्ग संधि कहते हैं.

विसर्ग संधि के उदाहरण

  • नि: + चल = निश्चल
  • दू: + तर + दुस्तर
  • यश: + दा = यशोदा

तो इस तरह जब विसर्ग के बाद कोई स्वर या व्यंजन आता हैं तो विसर्ग में कुछ ऐसा परिवर्तन देखने को मिलाता हैं.

हिंदी व्याकरण टॉपिक:

तो अब आप संधि के उदाहरण को देखकर संधि के प्रकार का पता लगाने में सक्षम हैं. यहाँ पर हमने आपको स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि क्या हैं, उनकी व्यख्या क्या हैं इसके बारेमे बताया हैं.

Conclusion:

इस लेख में हमने आपको समजाय की संधि किसे कहते हैं, sandhi kise kahate hain, संधि की परिभाषा क्या हैं, संधि के भेद कितने होते हैं, sandhi ke bhed, इसके बारेमे समाजाने का प्रयत्न किया हैं. हम आगे भी ऐसे ही हिंदी व्याकरण से जुड़े topics के बारेमे आपके लिए आर्टिकल लिखते रहेंगे. बस आपको इस article को share करना हैं. धन्यवाद.

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